मनुष्य अपनी परिस्थितियों का निर्माता आप है. जो जैसा सोचता है और करता है, वह वैसा ही बन जाता है। मनुष्य अपनी परिस्थितियों का निर्माता आप है. जो जैसा सोचता है और करता है, वह वैसा ही बन जाता है।
उनको ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, जो आलस्य का त्याग करके सदैव सत्कर्म के लिए प्रयासरत रहते हैं। उनको ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, जो आलस्य का त्याग करके सदैव सत्कर्म के लिए प्रयासरत रहते हैं।
देते हुए पुरुषों का धन क्षीण नहीं होता। दान न देने वाले पुरुष को अपने प्रति दया करने वाला नहीं मिलता। देते हुए पुरुषों का धन क्षीण नहीं होता। दान न देने वाले पुरुष को अपने प्रति दया करने वाला नहीं मिलता।