शक्तियों का संगठन करो, सदविचारों का संगठन करो। संगठन से बढ़कर शुक्तिशाली तत्त्व इस पृथ्वी पर दूसरा नहीं। शक्तियों का संगठन करो, सदविचारों का संगठन करो। संगठन से बढ़कर शुक्तिशाली तत्त्व इस पृथ्वी पर दूसरा नहीं।
जो मर्यादाओं का पालन करता है, वही पाप से बचता है। बुराइयों की ओर ढीला मन रखने से फिसलने का भय है। जो मर्यादाओं का पालन करता है, वही पाप से बचता है। बुराइयों की ओर ढीला मन रखने से फिसलने का भय है।
धन उन्हीं के पास ठहरता है जो सद्गुणी हैं। दुर्गुणी की विपुल संपदा भी स्वल्प काल में नष्ट हो जाती है। धन उन्हीं के पास ठहरता है जो सद्गुणी हैं। दुर्गुणी की विपुल संपदा भी स्वल्प काल में नष्ट हो जाती है।
मनुष्यों को चाहिए कि सब ऋतुओं में सुख कारक, धनधान्य से युक्त, वृक्ष, पुष्प, फल, शुद्ध वायु, जल तथा धार्मिक और धनाढ्य पुरुषों से युक्त गृह बनाकर वहां निवास करे, जिससे आरोग्य से सदा सुख बढे। मनुष्यों को चाहिए कि सब ऋतुओं में सुख कारक, धनधान्य से युक्त, वृक्ष, पुष्प, फल, शुद्ध वायु, जल तथा धार्मिक और धनाढ्य पुरुषों से युक्त गृह बनाकर वहां निवास करे, जिससे आरोग्य से सदा सुख बढे।
हे परमेश्वर, हमारे मन को शुभ संकल्प वाला बनाओ। हमें सुखदायी बल और कर्मशक्ति प्रदान करो। हम देवों की शुभ मति के अधीन रहें। हे परमेश्वर, हमारे मन को शुभ संकल्प वाला बनाओ। हमें सुखदायी बल और कर्मशक्ति प्रदान करो। हम देवों की शुभ मति के अधीन रहें।