तृष्णा नष्ट होने के साथ ही विपत्तियाँ भी नष्ट होती हैं। जिसे जितनी अधिक तृष्णा है, वह उतना ही बड़ा आपत्तिग्रस्त है।

तृष्णा नष्ट होने के साथ ही विपत्तियाँ भी नष्ट होती हैं। जिसे जितनी अधिक तृष्णा है, वह उतना ही बड़ा आपत्तिग्रस्त है।

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