मूषिकवाहन मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बितसूत्र । वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक पाद नमस्ते ॥

मूषिकवाहन मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बितसूत्र ।
वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक पाद नमस्ते ॥


अर्थ — जिनका वाहन चूहा है और जिनके हाथ में मोदक है, जिसके पंखे के समान बड़े कान हैं और जो लंबा पवित्र धागा पहना है, जो कद में छोटे हैं और श्री महेश्वर (भगवान शिव) के पुत्र हैं, अपने भक्तों की बाधाओं को दूर करने वाले श्री विघ्न विनायक के चरणों में नमस्कार है।

Meaning - Whose mount is a mouse and who holds a modak (sweet delicacy) in hand, Whose ears resemble large fans and who wears a long holy thread, Who is short in stature and is the son of Lord Maheshwara (Lord Shiva), I bow to the feet of Lord Vighna Vinayaka, who removes obstacles for his devotees.

गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थजम्बूफलसार भक्षितम् । उमासुतं शोकविनाशकारणं नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम् ॥

गजाननं भूतगणादि सेवितं
कपित्थजम्बूफलसार भक्षितम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारणं
नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम् ॥


अर्थ — हाथी (गज) के मुख वाले, भूत गणों के द्वारा सेवा किए जाने वाले, आप कपिथा (कैथा फल) और जामुन को ग्रहण करने वाले हैं। जो उमा (देवी पार्वती) के पुत्र हैं। आप समस्त दुखों का नाश करने वाले हैं। मैं विघ्न-बाधा को दूर करने वाले श्री गणेश जी को, जिनके चरण कमल के समान हैं, नमन करता हूँ।

Meaning - You are the one with an elephant’s face (Gaj), served by various supernatural beings (Bhoot Gana), You consume the Kapittha and Jamun fruits, You are the son of Uma (Goddess Parvati), the destroyer of sorrow, I bow to the lotus-like feet of Lord Ganesha, the remover of obstacles and difficulties.

रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम् । त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे ॥

रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम् ।
त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे ॥


अर्थ — हे भगवति! आप ही मेरे रोग, शोक, ताप और पाप को नष्ट करने वाली हैं। आप कुमति के दूषित विचारों को हरने वालीहैं। आप ही त्रिभुवन के सार हैं और इस पृथ्वी की धारक हैं, और आप ही संसार में मेरी एकमात्र गति हैं।

Meaning - Oh Goddess! You are the one who destroys my diseases, sorrows, sufferings, and sins. You dispel the tainted thoughts of my mind. You are the essence of the three worlds, the bearer of the Earth, and my sole refuge in this world.

हरिपदपाद्यतरङ्गिणि गङ्गे हिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे । दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम् ॥

हरिपदपाद्यतरङ्गिणि गङ्गे हिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे ।
दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम् ॥


अर्थ — हे गंगा माता! तुम्हारे जल की तरंगे, श्रीहरि के चरणों में है, और तुम्हारी तरंगें हिम, चन्द्रमा और मोती की भाँति श्वेत हैं। कृपा करके मेरे पापों के भार को दूर करें, और मुझे भवसागर (संसार की बंधन) को पार करने में सहायता करें।

Meaning - O Mother Ganga! The waves of your water is beneath the footsteps of Lord Hari (Vishnu), and your waves, as pure as the pearls and moonlight, carry the divine essence. Please relieve me of the burden of my sins and help me cross the ocean of worldly existence.

देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे । शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥

देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे ।
शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥


अर्थ — हे देवि गंगा! आप देवगणों की ईश्वरी हो, हे भगवति गंगा! आप तीनों लोकों की उद्धार करने वाली हैं, आपकी तरंगें सदैव चलती रहती हैं और सुंदरता से बहती हैं। आप भगवान शंकर के सिर पर विराजमान हैं, और आपके निर्मल पदकमल में ही मेरे विचार लगे रहें।

Meaning - Goddess, Queen of Devas, Bhagavati Ganga! You are the savior of the three worlds, with waves that are ever-moving and graceful. You dwell on the head of Lord Shankara (Shiva), and your pure lotus feet are the abode of my thoughts. May my mind rest upon your immaculate lotus feet.