सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यं प्रियम्। प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्म: सनातन:।।

सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यं प्रियम्। प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्म: सनातन:।।

सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यं प्रियम्।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्म: सनातन:।।


अर्थ — सत्य बोलें, प्रिय बातें बोलें, पर अप्रिय सत्य नहीं बोलें। प्रिय असत्य भी न बोलें, यही सनातन धर्म है।
कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्दं प्रभाते करदर्शनम्।।

कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्दं प्रभाते करदर्शनम्।।

कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
करमूले तु गोविन्दं प्रभाते करदर्शनम्।।


अर्थ — लक्ष्मी माता हमारे हाथ के अंगुलियों के अग्रभाग में वास करती है, सरस्वती माता हमारे हाथों के बीच में वास करती है, भगवान गोविन्द अर्थ विष्णु हमारे हाथों की जड़ में वास करते हैं, सुबह के समय उनका दर्शन करना चाहिए।