विद्या मित्रं प्रवासेषु ,भार्या मित्रं गृहेषु च । व्याधितस्यौषधं मित्रं , धर्मो मित्रं मृतस्य च ॥

विद्या मित्रं प्रवासेषु ,भार्या मित्रं गृहेषु च ।
व्याधितस्यौषधं मित्रं , धर्मो मित्रं मृतस्य च ॥


अर्थ — ज्ञान यात्राओं में मित्र होता है, पत्नी घर में मित्र होती है। बीमार के समय औषधि मित्र होती है, और मरते समय के लिए धर्म मित्र होता है।

Meaning - Knowledge is a friend during travels, a spouse is a friend at home. Medicine is a friend for the sick, and righteousness is a friend for the deceased.
 

संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे । सुभाषितरसास्वादः सङ्गतिः सुजने जने ॥

संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे ।
सुभाषितरसास्वादः सङ्गतिः सुजने जने ॥


अर्थ — संसार के कड़वे पेड़ के दो फल होते हैं जो अमृत के समान होते हैं। एक है मधुर शब्दों का स्वाद और दूसरा सज्जन व्यक्तियों की संगति।

Meaning - In the bitter tree like world, there are two fruits that are like nectar. The taste of good words and the company of noble individuals.

श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि यदुक्तं ग्रन्थकोटिभिः । परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥

श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि यदुक्तं ग्रन्थकोटिभिः ।
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥


अर्थ — जो करोडो ग्रंथों में कहा है, वह मैं आधे श्लोक में कहता हूँ; दूसरों की हित करना पुण्यकारी है, दूसरों को पीड़ित करना पापकारी है।

Meaning - I will now convey the meaning of the verse in half: Doing good to others is virtuous, causing harm to others is sinful.

दारिद्रय रोग दुःखानि बंधन व्यसनानि च। आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्।।

दारिद्रय रोग दुःखानि बंधन व्यसनानि च।
आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्।।


अर्थ — दारिद्र्य, रोग, दुख, बंधन और व्यसन व्यक्ति द्वारा किये गए पाप रूपी वृक्ष के फल अर्थात परिणाम होते हैं। इन फलों का उपभोग मनुष्य को करना ही पड़ता है।

Meaning - Poverty, disease, sorrows, bonds, and addictions, Are the fruits of the tree of self’s transgressions.

मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च। दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥

मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥


अर्थ — मूर्ख शिष्य के उपदेश देने से और दुष्ट स्त्री के साथ रहने से, संकटपूर्ण परिस्थितियों के कारण पंडित भी दुःखित हो जाता है।

Meaning - Through teaching a foolish student and associating with a wicked woman, even a wise person becomes dejected due to the unhappiness arising from such circumstances.