यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकांजलिम् वाष्पवारिपरिपूर्णालोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ॥

यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकांजलिम्
वाष्पवारिपरिपूर्णालोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ॥


अर्थ — जहाँ जहाँ श्रीराम की कीर्ति का गान होता है, वहाँ वहाँ भगवान हनुमान हाथों की जोड़कर खड़े रहते है। उनकी आंखें प्रेम के आँसूओं से पूरी भरी होती हैं, मैं उस राक्षसों का नाश करने वाले हनुमान जी को नमस्कार करता हूँ, जो मारुती नाम से जाने जाते हैं।

Meaning - Wherever the glory of Lord Rama’s deeds is being sung, right there, Lord Hanuman stands with folded hands. His eyes are filled with tears of love. I pay my respects to Hanuman ji, the destroyer of demons, known by the name Maruti.

बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् निर्भयत्वम् अरोगताम् अजाड्यम् वाक् पटुत्वम् च हनुमत् स्मरणात् भवेत् ॥

बुद्धिर् बलम् यशो धैर्यम् निर्भयत्वम् अरोगताम्
अजाड्यम् वाक् पटुत्वम् च हनुमत् स्मरणात् भवेत् ॥


अर्थ — बुद्धि (विवेक), बल (शक्ति), यश (कीर्ति), धैर्य (धीरज), निर्भयता (निडरता), अरोग्यता (आरोग्य), आलस्य से मुक्त (अजाद्यम्), और वाणी में कुशलता (वचन कौशल) हनुमान के स्मरण से प्राप्त होते हैं।

Meaning - Through the remembrance of Hanuman, one attains intellect (wisdom), strength, fame, courage, fearlessness, good health, freedom from laziness, and skill in speech.

ततः कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम् । बुद्धो नाम्नाञ्जनसुतः कीकटेषु भविष्यति ॥

ततः कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम् ।
बुद्धो नाम्नाञ्जनसुतः कीकटेषु भविष्यति ॥


अर्थ — कलयुग में देवद्वेषियों को मोहित करने नारायण कीकट प्रदेश (बिहार या उड़ीसा) में अजन के पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। जबकि गौतम का जन्म वर्तमान नेपाल में राजा शुद्धोदन के घर हुआ था।

Meaning - In the Kali Yuga, to delude and mislead those who are against the gods, God will manifest as the son of Anjana in the region of Keekata (modern-day Bihar or Odisha). Meanwhile, Gautama Buddha was born in present-day Nepal, in the household of King Shuddhodana.

समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले । विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥

समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥


अर्थ — हे देवी पृथ्वी, आप जिनका वस्त्र समुद्र है और पर्वतों के मण्डल आपके पयोधर हैं। हे विष्णुपत्नि आपको नमस्कार है। कृपया मेरे चरणों द्वारा आपको होने वाले स्पर्श के लिए मुझे क्षमा करें।

Meaning - Goddess Earth, you whose clothing is the oceans and whose breasts are the mountain ranges, I offer my salutations to you, the consort of Lord Vishnu. Please forgive me for the touch that will be caused by my feet.

हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥

हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥


अर्थ — हे सभी वेदों को जानने वाले अग्निदेव, मैं आपसे यह प्रार्थना करता हूँ कि आप हिरण्य वर्णा अर्थात सुनहरे रंग वाली और सोने – चाँदी के हार पहनने वाली, चन्द्रमा के समान प्रसन्न कांति वाली लक्ष्मी देवी का मेरे लिए आह्वान करिये।

Meaning - O Agnidev, knower of all the Vedas, I beseech you to invoke for me the Goddess Lakshmi, who is adorned with golden hue, wearing ornaments of gold and silver, radiant as the moon, and who bestows prosperity