नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न_काराय नमः शिवाय ॥

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न_काराय नमः शिवाय ॥


अर्थ — जिनके गले में नागराज (सर्पों के राजा) की माला है, जिनके तीन नेत्र हैं, जिनके शरीर पर भस्म की धूलि है, जिनका नाम महेश्वर है, जो सदा अनन्त और पूर्ण रूप से पवित्र हैं, जो सर्वदा शुद्ध है, जो आकाश को वस्त्र के रूप में धारण करते हैं, मैं उन शिव को नमस्कार करता हूँ जिन्हे “न” कार रूप में दर्शाया जाता है।

Meaning - Salutations to Lord Shiva, who wears the serpent king as a garland around his neck, who has three eyes, whose body is adorned with ashes, whose name is Maheshwara, who is eternally limitless and pure, who is always immaculate, who adorns the sky as his clothing, and who is symbolized by the sound ‘Na’.

भूताधिपं भुजगभूषणभूषिताङ्गं व्याघ्राजिनाम्बरधरं जटिलं त्रिनेत्रम् । पाशाङ्कुशाभयवरप्रदशूलपाणिं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ॥

भूताधिपं भुजगभूषणभूषिताङ्गं
व्याघ्राजिनाम्बरधरं जटिलं त्रिनेत्रम् ।
पाशाङ्कुशाभयवरप्रदशूलपाणिं
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ॥


अर्थ — जो भूतों के राजा हैं, जिनके शरीर को सर्पभूषण (नागराज की माला) से सजाया गया है, जो व्याघ्र की खाल धारण करते हैं, जिनके शिर पर जटा और तीन नेत्र हैं, जिनके हाथ में पाश और अंकुश हैं, जो भय को हरने वाले हैं, जिनके हाथ में त्रिशूल हैं, और जो वाराणसीपति हैं (काशीपति – काशी के भगवान), ऐसे महादेव भगवान को भजो।

Meaning - Worship the great Lord Shiva, the ruler of all beings, adorned with a serpent necklace, wearing the skin of a tiger, with matted hair and three eyes. He holds the noose and goad in his hands, dispelling fear, and carrying a trident. He is the lord of Varanasi (Kashi), the city of spiritual enlightenment.


 

 

गङ्गातरङ्गरमणीयजटाकलापं गौरीनिरन्तरविभूषितवामभागम् । नारायणप्रियमनङ्गमदापहारं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ॥

गङ्गातरङ्गरमणीयजटाकलापं
गौरीनिरन्तरविभूषितवामभागम् ।
नारायणप्रियमनङ्गमदापहारं
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ॥


अर्थ — जिनके सिर की जटाओं में गंगा की तरंगे मनोहर लगती हैं, जिनका वाम भाग गौरी (पार्वती) द्वारा सुंदरता से अलंकृत है, जो नारायण के प्रिय हैं, जिन्होंने कामदेव के अङ्ग (शरीर) सौंदर्य के मद को नष्ट किया है, और जो वाराणसीपति हैं (काशी के भगवान), ऐसे महादेव भगवान को भजो।

Meaning - Worship the Lord Vishwanath (Shiva), whose jata (matted hair) is adorned with the charming waves of the Ganga, whose left side is adorned with the beauty of Goddess Gauri (Parvati), who is dear to Narayana (Vishnu), and whose form has destroyed the pride of Kamadeva (the god of desire). He is the Lord of Varanasi (Kashi), the city of spiritual enlightenment.


 

प्रथमं शैलपुत्रीति द्वितीयं ब्रह्मचारिणी । तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥ पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनी तथा । सप्तमं कालरात्रिश्च महागौरीति चाष्टमम् ॥ नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः । उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ॥

प्रथमं शैलपुत्रीति द्वितीयं ब्रह्मचारिणी ।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥
पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनी तथा ।
सप्तमं कालरात्रिश्च महागौरीति चाष्टमम् ॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ॥


अर्थ — प्रथम स्वरुप शैलपुत्री, दूसरा स्वरुप ब्रह्मचारिणी, तीसरा स्वरुप चंद्रघण्टा, चौथा स्वरुप कूष्माण्डा, पांचवा स्वरुप स्कन्दमाता, छठा स्वरुप कात्यायनी, सातवा स्वरुप कालरात्रि, आठवा स्वरुप महागौरी, नौवा स्वरुप सिद्धिदात्री हैं। ये देवी दुर्गा के नौ स्वरुप हैं, जिनके नाम ब्रह्मा के द्वारा बताए गए हैं और प्रसिद्ध हैं।

Meaning - The first form is Shailaputri, the second form is Brahmacharini, the third form is Chandraghanta, the fourth form is Kushmanda, the fifth form is Skandamata, the sixth form is Katyayani, the seventh form is Kalratri, the eighth form is Mahagauri, and the ninth form is Siddhidatri. These are the nine forms of Goddess Durga, whose names are mentioned by Brahma and are well-known.

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातात्मजं नमामि ॥

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातात्मजं नमामि ॥


अर्थ — जिनकी शक्ति अतुलनीय है, जिनका शरीर सोने के पहाड़ों की भाँति है। जिन्होंने दानवों को नष्ट किया, जो ज्ञानियों में अग्रणी हैं।
जो समस्त गुणों के स्वामी हैं और वानरों के प्रमुख हैं। जो प्रभु श्रीराम के प्रिय भक्त हैं, जिन्हे वायुपुत्र (हनुमान) कहा जाता है, मैं उनका नमन करता हूँ।

Meaning - Whose power is incomparable, whose body is as massive as a mountain of gold. Who defeated the demons and is foremost among the knowledgeable. Who possesses all qualities and is the chief of the monkeys. Who is the beloved devotee of Lord Rama and is known as the son of the wind (Hanuman). I pay my respects to him.