प्रस्तावना
किसी जंगल में एक विशाल बरगद का पेड़ था। उस पेड़ की ऊँची शाखाओं पर एक कबूतर का जोड़ा अपने घोंसले में रहता था। दोनों बहुत खुश थे और शांति से अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। पेड़ के आसपास के इलाके में कई जानवर और पक्षी भी रहते थे। इन्हीं में एक लोमड़ी भी थी, जो चालाकी और धूर्तता के लिए जानी जाती थी।
कौवा और लोमड़ी की दोस्ती
उस बरगद के पेड़ की एक अन्य शाखा पर एक काला कौवा भी रहता था। वह बहुत आलसी और लालची था। कौवा का लोमड़ी से परिचय हो गया और धीरे-धीरे वे अच्छे मित्र बन गए। लोमड़ी और कौवा दोनों ही भोजन की तलाश में साथ घूमते थे और मिल-जुलकर खाया करते थे। लोमड़ी की धूर्तता के कारण कौवा अक्सर आसानी से भोजन पा जाता था, इसलिए वह उसकी चापलूसी करने लगा।
कबूतरों को परेशान करने की योजना
एक दिन लोमड़ी ने कौवे से कहा, “हम हर दिन जंगल में भोजन की तलाश में बहुत मेहनत करते हैं। क्यों न हम यहाँ इस बरगद के पेड़ पर ही किसी का भोजन चुराएँ?” कौवे ने पूछा, “यह कैसे होगा?” लोमड़ी ने कहा, “देखो, यहाँ इस पेड़ पर कबूतरों का एक घोंसला है। हम उनके अंडे या उनके बच्चों को खा सकते हैं।”
कौवे को यह बात पसंद आई और उसने तुरंत लोमड़ी की योजना मान ली। वे दोनों कबूतरों को तंग करने लगे। कभी-कभी कौवा घोंसले के पास उड़कर उन्हें डराता, तो कभी लोमड़ी पेड़ के नीचे खड़ी होकर धमकियाँ देती।
बुद्धिमान कबूतर की योजना
कबूतरों का जोड़ा इस स्थिति से बहुत परेशान हो गया। कबूतरी ने कबूतर से कहा, “हमें इस समस्या का समाधान निकालना होगा। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो ये हमारे अंडों या बच्चों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।”
कबूतर ने सोचा और कहा, “मुझे एक उपाय सूझा है। हमें धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना होगा।” कबूतर ने अपनी पत्नी को योजना बताई और वे दोनों तैयार हो गए।
चालाकी से लोमड़ी और कौवे को सबक सिखाना
अगले दिन, जब कौवा और लोमड़ी फिर से कबूतरों को तंग करने आए, तो कबूतरी घोंसले से जोर-जोर से रोने लगी। कौवे ने कौतूहलवश पूछा, “तुम क्यों रो रही हो?” कबूतरी ने कहा, “ओह, मैं क्या करूँ! मेरे पति ने मुझसे कहा है कि वह इस बरगद के पेड़ के नीचे गड़े हुए खजाने को लेकर आएंगे, लेकिन वह इतना भारी है कि वह उसे अकेले नहीं ला सकते।”
लोमड़ी और कौवे ने जैसे ही ‘खजाने’ का नाम सुना, उनकी आँखें चमक उठीं। लोमड़ी ने तुरंत कहा, “खजाना? खजाना कहाँ है?” कबूतरी ने कहा, “मेरे पति ने कहा कि बरगद के पेड़ की जड़ों के पास एक बड़ा खजाना गड़ा हुआ है। अगर कोई मदद कर दे, तो वह उसे निकाल सकते हैं।”
लोमड़ी और कौवा दोनों ही लालच में आ गए। उन्होंने सोचा कि अगर वे खजाना निकाल लेंगे, तो वे आराम से जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कबूतरी से कहा, “हम तुम्हारे पति की मदद करेंगे। तुम हमें बताओ कि खजाना कहाँ है।”
खजाने की खोज में फँसना
कबूतरी ने उन्हें बरगद के पेड़ की जड़ों के पास जाने के लिए कहा। लोमड़ी और कौवा तुरंत पेड़ की जड़ों के पास खुदाई करने लगे। तभी कबूतर ने ऊपर से जोर से चिल्लाया, “अरे, देखो! वह शिकारियों का जाल है!” लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लोमड़ी और कौवा शिकारियों के जाल में फँस चुके थे। उन्होंने जाल से निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहे।
कहानी से सीख
लोमड़ी और कौवे को उनकी चालाकी और धूर्तता का फल मिला। कबूतर की बुद्धिमानी और सूझबूझ से उन्होंने अपनी जान बचाई और अपने अंडों को सुरक्षित रखा।
सीख: किसी को परेशान करने या नुकसान पहुँचाने का विचार कभी नहीं करना चाहिए। जैसे कर्म हम करते हैं, वैसे ही फल हमें मिलते हैं। धूर्तता और चालाकी से बचकर बुद्धिमानी और धैर्य से काम लेना ही सबसे अच्छा उपाय है।