सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।।
अर्थ — माँ सभी तीर्थों के समान है, पिता सभी देवताओं के समान हैं। इसलिए माता और पिता को सब प्रकार से पूजनीय मानना चाहिए और सदैव संम्मान करना चाहिए।।