अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद् गजभूषणं।
चातुर्यम् भूषणं नार्या उद्योगो नरभूषणं।।
अर्थ — घोड़े के लिए उसकी तेजी (दौड़ने की गति) ही भूषण होती है, हाथी के लिए उसकी मस्ती (मदमस्त चाल) ही भूषण होती है। और नारी के लिए उसका चातुर्य (विभिन्न कार्यों मे दक्षता) ही भूषण होता है, पुरुष के लिए उसका उद्यमशील होना ही भूषण होता है।