आचार्यात् पादमादत्ते पादं शिष्यः स्वमेधया।
कालेन पादमादत्ते पादं स ब्रह्मचारिभिः।।
अर्थ — शिष्य अपने गुरु से पाव हिस्सा (1/4) ज्ञान प्राप्त करता हैं, पाव हिस्सा (1/4) अपनी बुद्धि से प्राप्त करता हैं, पाव हिस्सा (1/4) अपने सहपाठियों से प्राप्त करता हैं और पाव हिस्सा (1/4) समय के साथ स्वयं के अनुभव से प्राप्त करता रहता हैं।