सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यं प्रियम्।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्म: सनातन:।।
अर्थ — सत्य बोलें, प्रिय बातें बोलें, पर अप्रिय सत्य नहीं बोलें। प्रिय असत्य भी न बोलें, यही सनातन धर्म है।