ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः । भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः । स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाग्ँरसस्तनूभिः । व्यशेम देवहितं यदायुः । ।

ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः ।
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाग्ँरसस्तनूभिः ।
व्यशेम देवहितं यदायुः । ।

अर्थ — ॐ, देवताओं! हम अपने कर्णों (कानों) से शुभ वचन सुनें, हम अपनी आँखों से शुभ ही देखें। हम अपनी स्थिर इंद्रियों और शरीर से आपकी स्तुति करते हुए, अर्थात अपने रूप तन मन और वचनों द्वारा प्रार्थना करते हुए, हमारा देवों द्वारा दी गयी आयु (जीवन) देवों के लिए व्यतीत हो।

Meaning – O Devas! May we hear auspicious words through our ears. May we see auspicious things with our eyes. May we, with steady limbs and healthy bodies, praise and worship the Devas through our entire being. May our life be devoted to the service of the Devas.

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