सुखार्थिनः कुतोविद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम्।
सुखार्थी वा त्यजेद् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम्।।
अर्थ – सुख चाहने वाले को विद्या कहाँ से, और विद्यार्थी को सुख कहाँ से, सुख की इच्छा रखने वाले को विद्या और विद्या की इच्छा रखने वाले को सुख का त्याग कर देना चाहिए।