Posted inShlok सिंहवत्सर्ववेगेन पतन्त्यर्थे किलार्थिनः॥ Posted by By admin January 5, 2024No Comments सिंहवत्सर्ववेगेन पतन्त्यर्थे किलार्थिनः॥ अर्थ — जो कार्य संपन्न करना चाहते हैं, वे सिंह की तरह अधिकतम वेग से कार्य पर टूट पड़ते हैं। Spread the vedic information admin View All Posts Post navigation Previous Post आकिञ्चन्ये न मोक्षोऽस्ति किञ्चन्ये नास्ति बन्धनम्। किञ्चन्ये चेतरे चैव जन्तुर्ज्ञानेन मुच्यते॥Next Postसर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्। एतद् विद्यात् समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः॥