|| श्री हनुमान स्तुति ||
प्रनवउ पवनकुमार खल बल पावक ग्यानधन |
जासु ह्रदय आगार बसही राम शर चाप धर ||
अतुलित बलधामम हेम शैलाभदेहम, दनुज वन कृशानुम ज्ञानिनामग्रगण्याम |
सकल गुणनिधामम वानराणामधीशं, रघुपति प्रियभक्तं वातजातम नमामि ||
गोष्पदीकृतवारीशम मशकीकृतराक्षसम, रामायणं महामालारत्नं वंदेहं निलात्मजम |
अंजनानंदनम वीरम जानकीशोकनाशणम, कपीशमक्षहंतारं वंदे लंकाभयंकरम ||
उल्लंघ्यम सिन्धो: सलिलम सलिलम, यः शोकवाहिनम जनकात्मजाया |
आदाय तनैव ददाह लंका, नमामि तम प्रांजलि रान्जनेयं ||
मनोजवम मारुततुल्यवेगम, जितेन्द्रियं बुद्धिमताम वरिष्ठम |
वात्मजम वानरयूथमुख्यम, श्रीरामदूतम शरणम प्रप्धये ||
आन्जनेयमती पाटलालनम, कान्चानाद्रिकमनीयविग्रहम |
पारिजाततरुमूलवासिनम, भावयामि पावमाननंदनम ||
यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनम, तत्र तत्र कृतमस्तकान्जलिम |
वाश्पवारीपरीपूर्णलोचानाम, मारुतिम नमत राक्षसांतकम ||
|| इति श्री हनुमत स्तवन सम्पूर्णं ||