किसी सुंदर झील में एक कछुआ और दो हंस रहते थे। वे तीनों अच्छे मित्र थे और बहुत खुश रहते थे। एक बार उस इलाके में बहुत सूखा पड़ गया, और झील का पानी सूखने लगा। कछुआ चिंतित हो गया कि यदि पानी पूरी तरह सूख गया, तो वह जीवित नहीं रह पाएगा। उसने हंसों से मदद मांगी।

हंसों ने कहा, “हम एक उपाय सोच सकते हैं। हम एक मजबूत लकड़ी लाएंगे, जिसे हम दोनों अपने चोंच से पकड़ेंगे, और तुम बीच में मुँह से उस लकड़ी को पकड़ना। लेकिन एक शर्त है – तुम्हें कुछ भी बोलना नहीं है। अगर तुमने मुँह खोला, तो गिर जाओगे।”

कछुए ने हंसों की योजना मान ली और लकड़ी पकड़कर उड़ने के लिए तैयार हो गया।

मूर्खता का परिणाम

जब हंस कछुए को लेकर उड़ने लगे, तो रास्ते में लोगों ने कछुए को देखकर चिल्लाना और हंसना शुरू कर दिया। कछुआ उनकी बातें सुनकर बहुत क्रोधित हुआ और बोलने के लिए मुँह खोला। जैसे ही उसने मुँह खोला, वह नीचे गिर पड़ा और मर गया।

कहानी से सीख

कछुए की मूर्खता और अधीरता ने उसकी जान ले ली।

सीख: संकट के समय धैर्य बनाए रखना और अपनी मूर्खता को काबू में रखना ही समझदारी है।

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