दो अच्छे मित्र थे जो एक साथ यात्रा पर निकले। रास्ते में उन्हें एक घना जंगल पार करना पड़ा। उन्होंने एक-दूसरे से वादा किया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे।

जंगल के बीच में जाते-जाते, उन्हें सामने से एक बड़ा और खतरनाक भालू आता दिखा। एक मित्र को भालू को देखकर बहुत डर लगा। उसने बिना सोचे-समझे पास के एक पेड़ पर चढ़कर खुद को सुरक्षित कर लिया। दूसरा मित्र पेड़ पर चढ़ नहीं सकता था, इसलिए उसने तुरंत जमीन पर लेटकर अपनी साँसें रोक लीं और मरने का नाटक करने लगा, क्योंकि उसे पता था कि भालू मृत प्राणियों को नहीं खाता।

भालू का परीक्षण

भालू उसके पास आया, उसे सूँघा और कुछ देर तक उसकी गतिविधियों को देखा। जब भालू को लगा कि यह व्यक्ति मर चुका है, तो वह वहाँ से चला गया। भालू के जाते ही पेड़ पर चढ़ा हुआ मित्र नीचे उतरा और अपने मित्र से हँसते हुए बोला, “भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?”

मित्रता की सच्चाई

दूसरे मित्र ने जवाब दिया, “भालू ने मुझे सलाह दी कि सच्चे मित्र वही होते हैं जो मुसीबत के समय साथ न छोड़ें।” यह सुनकर पहले मित्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपने स्वार्थी व्यवहार के लिए माफी माँगी।

कहानी से सीख

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची मित्रता वही होती है जो कठिन समय में भी साथ निभाए।

सीख: संकट के समय सच्चे मित्र की पहचान होती है। सच्चे मित्र कभी भी कठिन समय में साथ नहीं छोड़ते।

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