ते पुत्रा ये पितुभक्ता: स: पिता यस्तु पोषक:।
तन्मित्र यत्र विश्वास: सा भार्या या निर्वती ।।
अर्थ — पुत्र वही है जो पितृभक्ति करने वाला हो, पिता वही है जो पुत्रों का पालन-पोषण करने वाला हो। मित्र वही है जिन पर आप विश्वास कर सकते हों और भार्या (पत्नी) वही है जिससे सुख प्राप्त हो।