अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च। पराक्रमश्चबहुभाषिता च दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥

अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च।
पराक्रमश्चबहुभाषिता च दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥

अर्थ — आठ गुण पुरुष का आभूषण होते हैं: ज्ञान, सुशीलता, आत्म-संयम, शास्त्रविद्या, वीरता, मितभाषिता (कम बोलना), अपनी क्षमता के अनुसार दान, और कृतज्ञता॥

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