अविश्रामं वहेत् भारं शीतोष्णं च न विन्दति । ससन्तोष स्तथा नित्यं त्रीणि शिक्षेत गर्दभात् ॥

अविश्रामं वहेत् भारं शीतोष्णं च न विन्दति ।
ससन्तोष स्तथा नित्यं त्रीणि शिक्षेत गर्दभात् ॥

अर्थ – विश्राम लिए बिना भार वहन करना, ताप-ठंड ना देखना, सदा संतोष रखना यह तीन चीजें हमें गधे से सीखनी चाहिए।

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